बिहार का दबंग जाति कौन है ? बिहार में “दबंग” कुशवाहा जाति हैं। साथ ही साथ यादव, राजपूत, और भूमिहार जातियाँ बिहार में प्रमुख मानी जाती हैं।
- यादव: यादव जाति का प्रभाव बिहार की राजनीति में काफी अधिक रहा है। इस जाति के कई प्रमुख नेता और मुख्यमंत्री रहे हैं।
- राजपूत: राजपूत जाति का ऐतिहासिक महत्व और उनकी सामाजिक स्थिति भी महत्वपूर्ण है। वे भी कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक पदों पर रहे हैं।
- भूमिहार: भूमिहार जाति का भी बिहार में महत्वपूर्ण स्थान है, विशेषकर कृषि और शिक्षा के क्षेत्रों में।
हालांकि, बिहार की सामाजिक संरचना में कई अन्य जातियाँ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और सामाजिक प्रभाव समय के साथ बदलता रहता है।
कुशवाहा जाति
कुशवाहा जाति, जिसे कुशवाहा या कुसवाहा भी कहा जाता है, बिहार और उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण जाति है। इस जाति के लोग मुख्य रूप से कृषि और व्यापार में सक्रिय रहते हैं। कुशवाहा जाति के लोग अक्सर अपने व्यावसायिक कौशल और कृषि में दक्षता के लिए जाने जाते हैं।
कुशवाहा जाति- विकिपीडिया
शासक
एक कछवाहा परिवार ने अंबर पर शासन किया जिसे बाद में जयपुर राज्य के रूप में जाना जाने लगा और इस शाखा को कभी-कभी राजपूत कहा जाता है। उन्होंने 1561 में मुगल सम्राट अकबर से समर्थन मांगा था।
मुगल सम्राट अकबर द्वारा मुगल कुलीनता में शामिल किया गया था। नए गठबंधन को ठोस बनाने के लिए कछवाहा शासक ने अपनी बेटी का विवाह भी अकबर से कर दिया।
विशेषताएँ:
- पारंपरिक पेशे: कुशवाहा जाति के लोग पारंपरिक रूप से कृषक रहे हैं, लेकिन आज के समय में कई लोग विभिन्न पेशेवर क्षेत्रों में भी सक्रिय हैं।
- सामाजिक स्थिति: कुशवाहा जाति बिहार और उत्तर प्रदेश में सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- राजनीतिक प्रभाव: कुशवाहा जाति के कई नेता राजनीति में सक्रिय हैं और उन्होंने क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाई है।
कुशवाहा जाति के लोग आमतौर पर मेहनती और सामाज में एकता बनाए रखने वाले होते हैं। उनकी सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियाँ उनकी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
बिहार में विभिन्न जातियों की संख्या
बिहार में विभिन्न जातियों की संख्या और उनका वितरण एक जटिल सामाजिक संरचना को दर्शाता है। यहाँ पर कुछ प्रमुख जातियों की सूची दी गई है, लेकिन ध्यान दें कि यह सूची पूरी नहीं हो सकती और जातियों की संख्या और वितरण समय के साथ बदल सकते हैं:
- ब्राह्मण – धार्मिक और शिक्षित वर्ग, जिनकी संख्या राज्य के विभिन्न हिस्सों में बसी हुई है।
- यादव – मुख्य रूप से पशुपालन और कृषि में सक्रिय, इस जाति की बड़ी संख्या बिहार में है।
- राजपूत – ऐतिहासिक और सामाजिक प्रभाव वाले, बिहार के विभिन्न हिस्सों में वितरित।
- भूमिहार – प्रमुख कृषक जाति, बिहार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- कुशवाहा – कृषि और व्यापार में सक्रिय, बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती है।
- सहरिया – अनुसूचित जनजाति में आती है, बिहार के कुछ हिस्सों में निवास करती है।
- मुसलमान – मुस्लिम समुदाय का भी बिहार में महत्वपूर्ण स्थान है।
- कायस्थ – प्रशासनिक और व्यापारिक गतिविधियों में सक्रिय, बिहार के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।
- दलित जातियाँ – जैसे कि पासी, चमार, और यादव, जो सामाजिक और आर्थिक रूप से विभिन्न स्थितियों में हैं।
- भुइयां – आदिवासी जाति, बिहार के आदिवासी क्षेत्रों में पाई जाती है।
यह सूची जातियों की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के आधार पर दी गई है और बिहार में जातियों का वितरण और उनकी संख्या समय के साथ बदल सकती है। विभिन्न सरकारी रिपोर्ट और जनगणना डेटा इस बारे में अधिक सटीक जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
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